Gasht ki baat in Hindi
gast ki baat in hindi-गस्त की बात
अल्लाह हुम्मा सल्लियाला सैय्यदीना मोहम्मद वाला आलि सैय्यदीना मोहम्मद वा बारिक वा सलीम।
अल्लाह थलाका बेहद शुकर और करम है के अल्लाह थला ने हम सब को दीन की महनाथ पर जमा फरमाया है, इस वक्त हम सब याहा बाटे है ये अल्लाह के फजल से ही बैठे है।
अब हम सब को मिल झूल कर एक महानथ करना है और वो महाननाथ है गस्त वाली।
ईमान को बनाने के लिए जितने भी महानथे है, अल्लाह के रास्ते में गस्त करना के ईमान वालो के पास जेक ईमान के फैये दो को बथाना और इस नियत से बथाना हमारा अपनाइमान कैसे बड़जाये।
अभी हम नमाज पढ़ने के लिए आए एलान हुवा तो बैट गए किसी को किसी से मुलाखात करणी थी किसी को अहम काम से जाना था अब हम याहा बैट गए है और फिर उसके बाद फिर गस्त करेंगे तो फिर ये कुर्बानी बनेगी ।
अल्लाह थाला के जीत ने भी हिदायत के वड़े है मगफिरत के वादे है सरे के सरे वादे कुर्बानी पर है, के दीन के लिए हम कितनी कुर्बानी डेराहे है, अपने वक्त की कुर्बानी अपने वक़्त की क़ुरबानी दे रहे है अपने जानो मॉल की क़ुरबानी देरहे है।
हज़रत आदम अलैहिवस्सलम से लेकर हमारे आखा हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तक जीतने भी अंबिया करम इस दुनिया में आए हैं हर नबी ने इस गस्त वाले अमल को किया है।
हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस गस्त वाले अमल को किया है।
हज़रत अबू बक्कर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु रहबर हुआ करते थे आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मुथा कलीम हुआ करते थे कबी मीना के वादियों में कबि मक्का के बाज़ारो में और कबी हाजी यो के खफ़िलो में आप सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम
इस गस्त वाले अमल को किया है
इस गस्त वाले अमल से हमारा ईमाँन बढ़ता है और सब से पहेली चीज ये है हमें अपने निय्यतो तो को सुधार के हमें गस्त करना है,
हमारी नियात क्या होनी चाहिए। के हम अपने ईमान को बनाने के लिए अपने भाइयो से ईमान की बात करने के लिए जारहे है।
हमें मिलेगा क्या इस गस्त वाले अमल से सब से पहले चीज आती है सामने तो इस के बड़े बड़े फजैल ज़िकर हुऐ है। कुरान पाक में हदीस शरीफ में अल्लाह थाला कुरान पाक में किसी जगा फार्मा रहे है
**कुंठुम खैरा उम्मतिन उखरिजाथुल लिन्नास थमुरुना बिल्मारूफ वतन कैसे न अनिल मुनकर वथु मिनुना बिल्लाह।**
तुम बहथरीन उम्मत हो, लोगो के लिए निका ली गई हो, हुकुम देथी हो लोगो को अच्छाई का और रोक थी हो उनको बुराई से और ईमान लाती हो अल्लाह पर।
अल्लाह थाला ने इस उम्मते मोहम्मदी या की तारीफ किया है क़ुरान पाक में।
इसी थारा हा हदीस शरीफ में इस के बड़े बड़े फज़ाइल ज़िकर हुए हैं। जिस किसी इलाखे में ये जमात निकल थी है अगर वहा कोई खबरास्तान है अगर वहा किसी मुर्दे को अज़ाब होराहा हो तो अल्लाह थाला इस जमात के बरकत से मुर्दो के अज़ाब को फिल्हाल के लिए रोक देते है।
और इस के अलावा अल्लाह के रास्ते में हम एक खादम चलेंगे तो हमें 700 खादम चलने का सवाब मिलेगा और एक मार्थाबा सुभानल्लाह अगर हम अपने गर पर बैट के कहे हैं तो 10 मरथा बा कहने का सवाब मिलेगा।
याही हम गस्त वाले अमल के दौरान हम मार्थाबा सुभानल्ला या अल्हम्दुलिल्ला,या अल्लाह हु अकबर कहां गे थो साथ (7) लाख मार्था बा कहने का सवाब मिलेगा।
और कुछ रिवायत तो (47) सैतालिस करोड़ (49) वन चास करोड़ तक मिलती है, बाल्की इस अमल पर थो अल्लाह थाला के अज़ारे अज़ीम के वादे है.
ये तो सिर्फ समझने के लिएलाक करोड़ बथा दिया गया है. अल्लाहतलाके थो अजरे अज़ीम के वादे है।
आज़ारे अज़ीम क्या है, लेहाज़ा जिब्राएल (अलैहि वसल्लम) से पुचा मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने के बाथा ए अज़ारे अज़ीम क्या है तो हज़रत जिब्राईल अलैहि वसल्लम ने कहा या नबी जी हम समंदर के पानी केखतरोंको थो गिन के बता सकते हैं। ज़मीन में जितने ज़ररात है उनको गिन के बथा सकता हु.आसमान से जीते भी बारिश होती है उनके बूंदो को गिन के बता सकता हु जमीन पर जितने भी पेड़ पोधे है उनके पथतो को जिन केबता सकता हु लेकिन ये नहीं बथा सकता।
यानि इतना ज़दा सवाब अल्लाह थाला अथा फ़र्मा येंगे जिस को ख़ूब अल्लाह थाला ने अज़रे अज़ीम का वादा किया है, होना भी चाहिए क्यू की जितने भी उम्मत थे आई है दुनिया में हर उम्मथ की ये ज़ुमेदारी थी अल्लाह के हुकुम और नबी के तारीखे पर चललेते तो कामयाब होजाते थे, लेकिन इस उम्माथे मोहम्मदिया को अल्लाह थाला ने 2 जुम्मे दरिया दिया है एक तो ये है के अल्लाह के हुकुम और नबिका थारी खे को पूरा करना और साथ साथ में दुसरो को भी दावत देना क्यूंकि अब्ब कोई नबी आने वाले नहीं है।
3 जमाते 3 काम मस्जिद के अंदर करेनगए (1) एक जमात बाहर जाएंगी बाहर जाने वाली जमात में फरमाया करते थे मौलाना इलियास रहमतुल्ला अलाई (थिल का अशरथुल कमिला) यानी 10 लोगो की जमात मुकम्मल जमात है
लेकिन कोई हिकमत हो या साथी कम है थो काम भी जासकते है लेकिन 3 साथियो को चुनलेना ये उसु लो अदब है।
एक रहेबर एक अमीर एक मुथा कल्लिम रहबर मुखामि होतो बेहतर है इतना छोटा भी नाहो और इतना बूढा भी नाहों रहबर ऐसा हो लोग उसके बुलाने पर लोग आते हो
अमीर साब का काम ये है की भाई जाते वक्त जमात को दुआ कराके लेके जाए जथे वक्त अपने नजरो की हिफाजत करते हुए रास्ते में कोई तकलीफ देने वाली कोई चीज हो थो हटाते हुए जाये अपने नज़रोकि हिफाज़त करते हुए जाये । एक बज़ू से लेकर जाये।
रहबर साब का काम ये हाइकी भाई जिस किसी भाई ये गर के पास जाए तो खिड़ की परदे का ख्याल करे जमात को एक बजू खड़े करे जिस किसी भाई के गर पर गया है 3 बार आवाज दे अगर दरवाजा बंद हैतो 3 बार खटका मारे साथी बहार आयेतो उनपर नज़र डाले उन्हो ने शर्ट पहना है या नहीं चप्पल पहाना है या नहीं देककर उन्हें मोकममल तयार करके जमात में जोड़ दे।
सिर्फ मुथकल्लीम साब बाथ करेंगे
सब साथी यो को देकके बाथ करे उन्हे ये नहीं लगे के मैही गुंहे गार हूं इतना जदा बी बात ना करे के बयान होजाए इतना कम भी ना बाथ करे की ऐलान होजाए।
कोशिश करेके साथी को नागत लेकर अनेकी अगर वो कोई उज़ुर पेश करे तो दीन का दायी बनाके ईशा में आये और अपने भाई दोस्तो को भी लेकर आने की दावत दे
वाप्सी में अमीर साब की राय ले जैसा काम करना था वैसा काम नहीं करसके अस्तगफार पड़ते हुई वापीस मस्जिद को आये.
दुआ में बैठने वाले साथी का काम ये हाइकि अपने लिए दुआ ना करे खास तूर पे जो जमात बहार गई है उस जमात के लिए दुआ करे दुआ से थक गए तो ज़िकर करे ज़िकर से थक गए तो दुआ करे।
दरमियानी बात करने वाले साथी का काम ये हाइकी की बहार से जो कोई भी साथी आए उन्हे ऐसा लगे की बात अब शूरु हुई है अल्लाह की बड़ाई और नबी की कुर्बानी और सहाबा की कुर्बानिया और नमाज के फजैल बताते हुए साथीयो का ज़हन बनाये।
इस्तगबाल करने वाले साथी का काम ये है की जो कोई भाई मस्जिद को आये अच्छे से सलाम मुसाफा करे उनसे पूछे आपने तो नमाज पड़ी होगी नहीं पाड़ा अगर वो कहे तो वजु खाना बता कर नमाज पढ़ने के बाद में दरमियानी बात में जोड़ दे।